उपन्यास / गैंगस्टर
लेखक / अनिल मोहन
तुम घटिया दर्जे के चालाक और मक्कार प्राइवेट जासूस हो।" लालसिंह राणा शब्द चबाकर कह उठा-"मुझे लगता है मैंने तुम पर विश्वास करके गलती की !
अर्जुन भारद्वाज का चेहरा क्रोध से स्याही पड़ गया। अपने शब्दों को संभालो राणा! तुम अण्डरवर्ल्ड में हस्ती रखते होगे, लेकिन तुम्हारी धौंस मुझ पर नहीं चलने वाली!
जो भी कहो! तमीज से कहो।"
अच्छा।" तारा सिंह कड़वे स्वर में कह उठा- "तमीज से न बोले तो तुम क्या कर लोगे हमारा, हमें गोली मार दोगे या फांसी पर लटका दोगे?"
अर्जुन भारद्वाज ने दांत भींचकर दोनों को देखा।
"लाल सिंह राणा।" अर्जुन ने कहर भरे स्वर में कहा-"जब तुम्हारे जुल्मों की जन्मकुंडली तुम्हारे सामने आई.. तो तड़प क्यों उठे है । मर्दों की तरह भागते। बर्दाश्त करो! मुझे बुरा-भला कहने से तुम्हें कुछ भी हासिल नहीं होने वाला।"
राणा ने सख्त निगाहों से अर्जुन भारद्वाज को देखा।
"लिफाफा खोलो।" राणा ने टेबल पर पड़े लिफाफे की तरफ इशारा किया। राणा को घूरते हुए अर्जुन भारद्वाज ने टेबल पर पड़े लिफाफे की तरफ हाथ बढ़ाया।
अण्डरवर्ल्ड के किंग लालसिंह राणा जैसे इंसान की गुमशुदा बेटी को ढूंढने जब अर्जुन भारद्वाज मैदान में उतरा तो...?
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जिसे अर्जुन भारद्वाज तलाश कर रहा था। वह नशेबाज थी, बुरी युवती थी या फिर क्या थी। हकीकत में उसकी असलियत क्या थी।
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